South Asian Digital Art Archive

अनहद (दि अनस्केलेबल, 2023) एक इंटरैक्टिव एआई सिमुलेशन है, जहाँ साइबरनेटिक काइमेरा मानव पैमाने की सीमाओं का सामना गीत की अनंतता से करते हैं। प्रथम दृष्टि में दर्शक एक एआई-नियंत्रित जीव से मिलते हैं जो एक डिजिटल वन में भटक रहा होता है। इस त्रिपद प्राणी के एआई-संचालित अंग हिंदुस्तानी संगीत के रिकॉर्ड किए गए स्वरों को वहन करते हैं, जो इसके आभासी वनस्पतियों के बीच मार्गदर्शन करते हुए प्रस्फुटित होते हैं। बाहरी दुनिया से आने वाला ऑडियो फीडबैक उस प्राणी को बाधित करता है, उसके गतियों को बदलता है और परिणामस्वरूप उसके संगीत का रूपांतरण करता है। भौतिक और आभासी दुनियाओं के बीच ध्वनि का यह निरंतर अंतःक्रिया अनहद को अनंत रूप से परिवर्तित होता हुआ गीत उत्पन्न करने में सक्षम बनाती है।

टेक्नो-फ्यूडलिज़्म का उग्र प्रसार चेतन अनुभव की समस्त क्षमताओं को निगल जाने की धमकी देता है। ग्रह की एक छवि, जो गणनीय घड़ी-यंत्र जैसी है, बार-बार उगली जाती है, और उस पर स्थित हर चीज़ को संसाधनों के ऐसे स्थिर भंडार में बदल देती है जो वैश्विक पूँजी की यांत्रिक गतियों में जोड़े जाने और लूटे जाने की प्रतीक्षा में है। मानव विषय अब बहिष्कारों की एक श्रृंखला द्वारा परिभाषित है—संहिताबद्ध, वर्गीकृत, और स्वयं से परे जो कुछ भी है, उससे काट दिया गया।

ये विभाजन कृत्रिम बुद्धिमत्ता के रूप में अपने शिखर पर पहुँचते हैं, जो मन का एक ऐसा संस्करण उत्पन्न करते हैं जो डिजिटल के मलबे के नीचे विकृत है। उबाऊपन, तुच्छता और बुरे विश्वास जैसी ग्रह-स्तरीय धुंधलाहटों से अभिभूत, जो हमें यह मानने के लिए विचलित और छल करती हैं कि हर दिन और हर जगह हमेशा एक समान है। फिर भी वही औज़ार जो हमें निष्क्रिय दर्शक बनाकर सुलाते हैं, उन्हीं में अप्रत्याशित पलायन-द्वार छिपे हैं।

हद-हद करते सब गए। बेहद गयो न कोए। अनहद के मैदान में रहा कबीरा सोए

वे केवल सीमाओं की ही बातें करते हैं, और फिर भी उन्हें लांघने का साहस नहीं करते; मैं उन सीमाओं से परे के खेल-मैदान में आपकी प्रतीक्षा कर रहा हूँ। ~ कबीरदास, 15वीं शताब्दी के कवि एवं संत

कबीर इस छोटी सी पंक्ति में, मानव पैमाने से तौलकर बनाई गई दुनिया की बहिष्करणात्मक सीमाओं को उजागर करते हैं, उसे उग्र सह-अस्तित्व के एक खेल-मैदान में पुनर्संयोजित करके। इसी नाम से प्रेरणा लेते हुए, एआई सिमुलेशन अनहद, बहिष्करण के उन्हीं एल्गोरिदमिक औज़ारों को पुनर्विन्यस्त करता है, ताकि संगीत रचा जा सके।
जब अनहद के बायोम मानव और गैर-मानव अभिकर्ताओं द्वारा सामूहिक रूप से सजीव किए जाते हैं, तो मनुष्य के पैमाने पर उतारी गई ग्रह की छवि, उर्सुला के. ले गुइन की ऐतिहासिक निबंध “द कैरियर बैग थ्योरी ऑफ फिक्शन” में कल्पित सह-अस्तित्व के एक पात्र में परिवर्तित हो जाती है।
क्योंकि अनहद का खेल-मैदान “फार्माकॉन” के सिद्धांत पर आधारित है—यह धारणा कि उपचार स्वयं विष में निहित है। आज तकनीक के माध्यम से रिसती उत्पीड़न की अति, सबसे पहले भाषा के श्रेणीगत नियम में निहित दूरी के एक कर्म पर आधारित होती है। सरल शब्दों में, परायेपन की हिंसा को अंजाम देने के लिए, मनुष्य को पहले दुनिया से स्वयं को अलग करना पड़ता है—उसे पौधा, पशु, प्रेत, प्रवासी और बाहरी जैसे नाम देकर—विभाजनों की एक श्रृंखला में। किंतु अनहद का साइबरनेटिक गीत, इन भाषिक विभाजनों को एक संगीतात्मक निरंतरता में बांधकर, मिथक, मशीन, मन और स्मृति में एकस्वर होकर गूंजते हुए, उन्हें दरकिनार करने का प्रयत्न करता है।

प्रकाशन वर्ष

2023

कला का प्रकार

ध्वनि कला
वीडियो कला
3डी डिजिटल मूर्तिकला

थीम

पहचान
स्मृति और अभिलेखागार
उत्तर-मानववाद
प्रौद्योगिकी और शक्ति

भाषाएँ

हिंदी, उर्दू

उपयोग किए गए सॉफ़्टवेयर

यूनिटी, अनरियल इंजन

दर्शक

सभी के लिए

सहेज रहल

सहेज रहल

सहेज रहाल मुंबई-स्थित बहुविषयक कलाकार हैं जिनका कार्य शिल्प, वीडियो, परफॉर्मेंस और कृत्रिम बुद्धिमत्ता तक विस्तृत है। संभावित विश्व-निर्माण में निहित, उनके कार्य मिथकों, विज्ञान-कथा और दर्शन को साथ बुनते हुए ऐसे डूबाने वाले परिवेश और चरित्र रचते हैं जो वास्तविक और काल्पनिक के बीच की सीमाएँ धुंधला देते हैं।

रचना संसद अकादमी ऑफ फाइन आर्ट्स से स्नातक, उन्होंने लिवरपूल बिएनिएल, कोच्चि-मुज़िरिस बिएनाले, मैक ल्यों, कुंस्टहाउस ज्यूरिख और एसीसीए मेलबर्न जैसी संस्थाओं में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शनियाँ लगाई हैं। रहाल को फोर्ब्स इंडिया आर्ट अवॉर्ड फॉर डेब्यू सोलो शो से भी सम्मानित किया गया है। उनका विकसित होता अभ्यास कला-निर्माण को सतत मिथक-निर्माण की प्रक्रिया के रूप में देखता है।

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अनुवाद

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